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तुलसी के फायदे – Benefits of Tulsi
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उड़ीसा में इसको तुलसी, बंगाल में तुलसी और जाना, हिंदी में नाजुकु और बरांडा, तेलुगु में तुलसी चेट्टू,इयुलसि और घाघरेरचच्चेटु, संस्कृत में देव दूल्हभा, विष्णु बल्लभा, अमर वल्लभा,देव दुन्दुभी,तुलसी,अपेत राक्षस,सुरसा, मंगरी, बहू मंगरी,सुलघ्नी पोषिनी, रक्षा करनी, त्रिपुरा और गौरी के नाम से जाने जाते है ।

तुलसी के पौधे को सब लोग अच्छी तरह से जानते हैं इसलिए इसका परिचय देना आवश्यक नहीं है तुलसी 6/7 प्रकार का होते हैं जैसे कि सफेद तुलसी कला तुलसी ज्यादा व्यवहार में आता है और बहुत लोग उसको ही जानते हैं ज्यादा औषधि के हिसाब से जानने वाले तुलसी में से यह दोनों प्रधान है ।सफेद तुलसी का पौधा दिखने के लिए सफेद दिखता है और काली तुलसी देखने के लिए पत्र भी काले देखते हैं और पेड़ भी काला दिखता हैं । सफेद तुलसी से काले तुलसी ज्यादातर लोगों के काम में आते हैं । तुलसी का पौधा देखने के लिए बहुत सुंदर और आकर्षक होता है । भारत में हिंदू परंपरा के अनुसार और हिंदू धर्म के परिवार में पूर्व दिशा में एक तुलसी का पौधा लगाया जाता है । जिसे घर का वास्तु दोष और नेगेटिव ऊर्जा का खनन होता है । उसके पत्ते छोटे-छोटे और काण्ड के आखिरी भाग में जटा रहता है । जो कि भगवान शिवजी के अत्यंत प्रिय है और उस जटा को शिव जी के पास अर्पण करने से पाप का खंडन होता है ।

राज्य के हिसाब से नाम:-
उड़ीसा में इसको तुलसी, बंगाल में तुलसी और जाना, हिंदी में नाजुकु और बरांडा, तेलुगु में तुलसी चेट्टू,इयुलसि और घाघरेरचच्चेटु, संस्कृत में देव दूल्हभा, विष्णु बल्लभा, अमर वल्लभा,देव दुन्दुभी,तुलसी,अपेत राक्षस,सुरसा, मंगरी, बहू मंगरी,सुलघ्नी पोषिनी, रक्षा करनी, त्रिपुरा और गौरी के नाम से जाने जाते है ।

गुणवत्ता एवं मात्रा जैसा कि शास्त्रों में बताया गया है

1. तुलसी के रस में शहद मिलाकर पीने से बच्चों की सभी प्रकार की सर्दी, खांसी, घरघराहट, उल्टी और बुखार ठीक हो जाते हैं।

2. बच्चों में दीर्घकालिक बुखार, सर्दी, खांसी और वसंत बुखार को रोकने के लिए तुलसी के रस और शहद के साथ अदार का सेवन किया जाता है। साथ ही बच्चों में उदरशूल और उल्टी से भी बचाव होता है।

3. बच्चों को रोज सुबह चार या पांच तुलसी की पत्तियां चबाने से उनकी भूख बढ़ती है और खाना पचने में आसानी होती है। और इससे उन्हें यह भी पता चल जाएगा कि उनका शरीर हमेशा स्वस्थ रहेगा।

 4. तुलसी के पत्तों के रस के साथ कुछ दिनों तक सेवन करने से खांसी, श्वास, बुखार, कफ, गठिया और अपच ठीक हो जाते हैं।

5. केवल हल्दी के चूर्ण को तुलसी के पत्तों के रस के साथ कुछ दिनों तक सेवन करने से सभी प्रकार का बुखार ठीक हो जाता है।

6. बस तुलसी के पत्ते का रस लें और इसे बिच्छू के काटने वाली जगह पर लगाएं दर्द से राहत मिलती है.

7. तुलसी के पत्तों के रस का कुछ दिनों तक सेवन करने से सीने में जलन, चुभन, मुंहासे, फोड़े-फुंसी और अल्सर से बचाव होता है। 8. किसी भी प्रकार के मेह रोग में तुस्सी के बीजों को मीठा गुंडा के साथ मिलाकर तीन दिन तक सेवन करना चाहिए।

8. तुलसी के पत्तों के रस से सिर पर मालिश करने से ब्रेन ट्यूमर अचानक ठीक हो जाता है।

9. तुलसी कषाय मिश्रित रस युक्त पौधा है जिसे सेवन करने से ज्वर, कफ, कृमि ,फ्लु, खांसी, बुखार, गठिया ,पेट फूलना,उल्टी,सडन,कुष्ठ, रक्त श्राब ,पेचिश,अतिसार जैसे लोगों का विनाश होता है । उसको सही मात्रा में लेने के लिए आप चरक संहिता का अध्ययन कर सकते हैं । 

तकनीकी अनुप्रयोग विविधता:-

1. घर के आसपास तुलसी के पेड़ लगाने से हैजा जैसी संक्रामक बीमारी घर में प्रवेश नहीं करती है।

2. तुलसी मुल की जड़ में सीधे स्नान करके चिता का सेवन करने से सभी कार्य पूर्ण होंगे और सभी का कल्याण होगा।

3. यदि गुरुवार को पूर्णिमा हो तो स्नान करके तुलसी की जड़ की मिट्टी अपने साथ लेकर विवाह स्थल या राजदरबार में जाएं, यश मिलेगा।

4. यदि तुलसी के पेड़ से गिरी हुई पत्तियाँ लाकर बच्चे के सिर और शरीर पर मलें, तो बच्चे की सभी प्रकार की विकृतियाँ जैसे बुखार और दृष्टि दोष ठीक हो जाते हैं।

5. तुलसी वृक्ष के तन को सोने या चांदी के डेबोनारिया से बांधने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है। सभी शत्रु मित्र बन जाते हैं और कोई भी संक्रमण शरीर में प्रवेश नहीं कर पाता।

तुलसी पत्ते की चाय

तुलसी पत्ते की चाय स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होती है । यह सर्दी जुकाम में राहत प्रदान करती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करती है ।जिससे शरीर बीमारियों से लड़ने में सक्षम बनता है,इसके नियमित सेवन से पाचन तंत्र बेहतर होता है और यह अपच, पेट की अन्य समस्याओं को कम करने में सहायक होती है । तुलसी की प्राकृतिक सुगंध और गुण तनाव को कम करने में भी प्रभावित है । जिससे मन को शांति मिलती है, दिन में एक या दो बार इस चाय का सेवन शरीर को ताजगी और ऊर्जा प्रदान करती है । साथ ही इसे एक प्राकृतिक और हर्बल उपचार के रूप में भी अपनाया जा सकता है ।तो आईए जानते हैं इस चाय को कैसे बनाते हैं ।

तुलसी पत्ते की चाय स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक होती है इसे बनाना भी बेहद आसान है ।
सामग्री:-
*8-10 ताजा तुलसी के पत्ते
*दो कप पानी
*स्वाद के अनुसार शहद या गुड
*कद्दूकस किया हुआ एक छोटा सा अदरक
*आधा चम्मच नींबू का रस (इसे आप ले भी सकते हैं या नहीं भी ले सकते हैं)

तुलसी के चाय बनाने का विधि:-
*एक पतीले में तकरीबन दो कप पानी को डालकर मध्य आज में उबाले
*जब पानी में उबाल आ जाए तो 8 से 10 फ्रेश तुलसी के पत्ते को पानी में डाल दें
*चाय को ज्यादा स्वादिष्ट बनाने के लिए अदरक के टुकड़े या कद्दूकस किए हुए अदरक को डालें
*अगर आपको मीठा पसंद है तो शहद या गुड को चाय हल्का ठंडा होने के बाद उसमें डालें ताकि शहर के पोषक तत्व नष्ट ना हो ।
*चाय में सुगंध और ताजगी लाने के लिए आधा चम्मच नींबू का रस आप डाल सकते हैं। नहीं डालेंगे तभी चलेगा ।
*चाय को पीने से पहले अच्छी तरह से छलनी से छानले

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