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आंवला के फायदे – Benefits of Amla
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आंवला, जिसे भारतीय गूज़बेरी भी कहा जाता है, आयुर्वेद में इसे एक शक्तिशाली औषधि के रूप में जाना जाता है। यह न केवल बालों और त्वचा को पोषण देता है, बल्कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करता है। आंवला में प्रचुर मात्रा में विटामिन सी, कैल्शियम, आयरन, और अन्य एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो इसे पोषण और स्वास्थ्य का अनमोल स्रोत बनाते हैं। आंवला का उपयोग विविध रूपों में किया जा सकता है।

आंवला, जिसे भारतीय गूज़बेरी भी कहा जाता है, आयुर्वेद में इसे एक शक्तिशाली औषधि के रूप में जाना जाता है। यह न केवल बालों और त्वचा को पोषण देता है, बल्कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करता है। आंवला में प्रचुर मात्रा में विटामिन सी, कैल्शियम, आयरन, और अन्य एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो इसे पोषण और स्वास्थ्य का अनमोल स्रोत बनाते हैं। आंवला का उपयोग विविध रूपों में किया जा सकता है। आंवला जूस पेट और पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है, जबकि आंवला पाउडर हड्डियों और जोड़ों को मजबूती प्रदान करता है। आंवले का अचार न केवल खाने का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि पाचन शक्ति में सुधार करता है। यह फल डायबिटीज को नियंत्रित करने, वजन घटाने, और रक्त संचार को बेहतर बनाने में भी मददगार है। इसके गुणकारी तत्व त्वचा की चमक बनाए रखने, बालों की जड़ों को मजबूत करने और सफेद बालों को काला करने में भी उपयोगी हैं। आंवला के नियमित सेवन से शरीर की कोशिकाएं पुनर्जीवित होती हैं और संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार होता है। आयुर्वेद इसे एक संपूर्ण रसायन मानता है, जो हर आयु वर्ग के लिए लाभकारी है।

आंवला क्या है? (What is Amla?)

आंवला: आयुर्वेद का अमृतफल आंवला, जिसे आयुर्वेद में "अमृतफल" और "धात्रीफल" कहा गया है, अपने अनगिनत औषधीय गुणों के कारण प्राचीन काल से चिकित्सा के लिए उपयोग में लाया जा रहा है। आंवला का उल्लेख चरक संहिता और सुश्रुत संहिता जैसे आयुर्वेदिक ग्रंथों में मिलता है, जहां इसे रोगनाशक और स्वास्थ्यवर्धक औषधि बताया गया है। इसे काष्ठौषधि और रसौषधि दोनों में इस्तेमाल किया जाता है, जिससे इसका महत्व और बढ़ जाता है। आंवला में प्रचुर मात्रा में विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट और खनिज पाए जाते हैं, जो बालों और त्वचा की सेहत के लिए वरदान साबित होते हैं। रूखे और बेजान बालों पर आंवला का पेस्ट लगाने से बाल काले, घने और चमकदार हो जाते हैं। यह केवल बाहरी सुंदरता ही नहीं बढ़ाता, बल्कि शरीर के दोषों को मल के माध्यम से बाहर निकालने में भी सहायक है, जिससे पाचन तंत्र मजबूत होता है। पीलिया, खांसी, बुखार, और कुष्ठ रोग जैसे जटिल रोगों के उपचार में आंवला बेहद उपयोगी है। इसके नियमित सेवन से आयु बढ़ती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। पाचन संबंधित रोगों में आंवला अद्भुत लाभ प्रदान करता है और इसे रसायन द्रव्यों में सर्वोत्तम माना गया है। भारतीय जीवनशैली में आंवला, अमला या इंडियन गूजबेरी के रूप मे जाना जाने वाला यह फल एक प्राकृतिक औषधि के रूप में अद्वितीय स्थान रखता है।

अन्य भाषाओं में आंवला के नाम (Name of Amla in Different Languages)

आं‍वला का वानस्पतिक नाम (Scientific name of Amla) Phyllanthus emblica L.  (पांईलैन्थस एम्बलिका) Syn-Emblicaofficinalis Gaertn है। यह Euphorbiaceae (यूफॉर्बियेसी) कुल से है। इसका अंग्रेजी नाम Emblicmyrobalan tree (एम्बलिक मायरोबालान ट्री) है। दुनिया में आंवला अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जो ये हैंः-

Amla in –

  • Name of Amla in Hindi- आमला, आँवला, आंवरा, आंबला औरा;
  • Name of Amla in  Urdu- आँवला (Anwala);
  • Name of Amla in  Oriya- औंला (Onola);
  • Name of Amla in Assamese- अमला (Amla), आमलुकी (Amluki);
  • Name of Amla in Kannada- नेल्लि (Nelli), नेल्लिकाय (Nellikai);
  • Name of Amla in  Gujarati- आमला (Amla), आमली (Amli);
  • Name of Amla in  Tamil- नेल्लिमार (Nellimaram);
  • Name of Amla in  Telugu- उसरिकाय (Usirikai);
  • Name of Amla in  Bengali- आमला (Amla), आमलकी (Amlaki);
  • Name of Amla in  Nepali- अमला (Amla);
  • Name of Amla in  Punjabi- आमला (Amla);
  • Name of Amla in  Marathi- आँवले (Anwale), आवलकाठी (Aawalkathi);
  • Name of Amla in  Malayalam- नेल्लिका (Nellikka), नेल्लिमारम (Nellimaram)।
  • Name of Amla in  English- इण्डियन गूजबेरी (Indian gooseberry);
  • Name of Amla in  Arabic- आमलज्ज (Amlajj);
  • Name of Amla in  Persian- आमलह (Amlah), आम्लाझ (Amlazh) कहते हैं।

आंवला के फायदे (Amla Benefits and Uses in Hindi)

आंवला के नियमित उपयोग से शरीर को अनेक स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं, इसे एक संपूर्ण औषधि के रूप में जाना जाता है। यह रक्त को शुद्ध करने के साथ-साथ दस्त, मधुमेह, और जलन जैसी समस्याओं में राहत प्रदान करता है। पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हुए आंवला मल त्याग की प्रक्रिया को आसान करता है और बवासीर (हेमोराइड) जैसी जटिल समस्याओं में भी लाभकारी है। आंवला का अम्लीय और पौष्टिक गुण रक्तपित्त (नाक-कान से खून बहने की समस्या), जॉन्डिस, और हाइपर-एसिडिटी को नियंत्रित करने में सहायक है। यह सांस की समस्याओं, खांसी, और कफ से राहत दिलाता है और आंखों की रोशनी को भी बेहतर बनाता है। गठिया के दर्द को कम करने और शरीर के वात, पित्त, और कफ को संतुलित करने में इसकी भूमिका विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

त्रिफला- में शामिल आंवला, पीपल, और हरड़ की त्रिदोष-नाशक क्षमता सभी प्रकार के बुखार को ठीक करने में मदद करती है। आंवला का एंटीऑक्सीडेंट और दर्द निवारक गुण इसे एक प्राकृतिक औषधि के रूप में अद्वितीय बनाते हैं। यह न केवल रोगों से बचाव करता है, बल्कि शरीर को ऊर्जा और स्फूर्ति से भर देता है। यह आयुर्वेदिक "सुपरफूड" स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए वरदान है।

बालों की समस्या में आंवले के फायदे (Amla Benefits in Shiny and Black Hair in Hindi)

  • सफेद बालों की समस्या से हर उम्र के लोग जूझ रहे हैं। आंवला के मिश्रण का लेप लगाने से कुछ ही दिनों में बाल काले हो जाते हैं। 30 ग्राम सूखे आंवला, 10 ग्राम बहेड़ा, 50 ग्राम आम की गुठली की गिरी और 10 ग्राम लौह भस्म लें। इन्हें रात भर लोहे की कढ़ाई में भिगोकर रखें। अगर कम उम्र में बाल सफेद हो रहे हैं तो इस लेप को रोज लगाएं। कुछ ही दिनों में बाल काले होने लगते हैं। 
  • आंवला, रीठा और शिकाकाई को मिलाकर काढ़ा बना लें। इसे बालों में लगायें। सूखने के बाद पानी से बालों को धो लें। इससे बाल मुलायम, घने और लंबे होते हैं।
  • आंवले का फल, आम की गुठली के मज्जा को एक साथ पीस लें। इसे सिर पर लगाने से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं और बाल काले हो जाते हैं। 
  • लौह भस्म और आमला चूर्ण को गुड़हल फूल के साथ पीस लें। इसे नहाने से पहले सिर में कुछ देर लगाकर रखें, और फिर पानी से धो लें। इससे बाल सफेद नहीं होते हैं।

मोतियाबिंद में अमला के फायदे (Benefits of Amla in Cataract in Hindi)

उम्र बढ़ने के साथ मोतियाबिंद और आंखों की अन्य समस्याएं आम हो जाती हैं, लेकिन आयुर्वेद में आंवला को इन समस्याओं के निवारण के लिए अत्यंत प्रभावी माना गया है। आंवला विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है, जो आंखों की कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव डैमेज से बचाता है और उनकी सेहत बनाए रखने में मदद करता है। जब आंवला को रसांजन (जली हुई हरड़ का रस), मधु (शहद), और घी के साथ मिलाया जाता है, तो यह आंखों के लिए एक संपूर्ण औषधि का काम करता है। इस मिश्रण को आंखों में लगाने से आंखों का पीलापन, जलन, और धुंधला दिखने जैसी समस्याएं कम होती हैं। इसके नियमित उपयोग से मोतियाबिंद की प्रगति धीमी हो सकती है और आंखों की रोशनी को लंबे समय तक बनाए रखा जा सकता है। यह मिश्रण आंखों की नसों को शांत करता है, सूजन कम करता है, और रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाकर आंखों की संपूर्ण सेहत को बढ़ावा देता है। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से यह उपचार न केवल मोतियाबिंद बल्कि अन्य दृष्टि संबंधी समस्याओं के लिए भी लाभदायक है।

आंखों की बीमारी में आंवला के फायदे (Benefits of Amla to Treat Eye Diseases in Hindi)

  • आंवले के 1-2 बूंद रस को आंखों में डालने से आंखों के दर्द से राहत मिलती है।
  • आंवले के बीज को घिसकर आंखों में लगाने से आंखों के रोग में फायदा पहुंचता है।
  • अपांप्म, आंवले का रस, धाय के फूल, नीलाथोथा तथा खपरिया तुत्थ को नींबू के रस से मिला लें। इसकी गोली बनाकर आंखों में काजल की तरह लगाने से आंखों के अनेक रोग ठीक होते हैं।
  • 7 ग्राम आंवले को जौ के साथ कुटकर ठंडे पानी में भिगो लें। दो-तीन घंटे बाद आंवलों को निचोड़ कर निकाल लें। इसी पानी में फिर से दूसरे आंवला को ऐसे ही भिगो दें। दो-तीन घंटे बाद फिर निचोड़ कर निकाल लें। इस तरह तीन-चार बार करें। इस पानी को आंखों में डालने से आँखों की सूजन कम (amle ke fayde) होती है।
  • आंवले के पत्ते और फल का मिश्रण आंखों में लगाएं। इससे आंख आने की परेशानी से राहत मिलती है।
  • आंवले को पीसकर पेस्ट बना लें, और उसकी पोटली बनाकर आंखों पर बांधें। इससे पित्त दोष के कारण होने वाली आंखों की खुजली, जलन आदि की परेशानी में लाभ मिलता है। 

नाक से खून बहने की समस्या में फायदेमंद आंवला (Amla Benefits to Get Relieve from Epistaxis)

नाक से खून बहने की समस्या, जिसे नकसीर कहते हैं, गर्मी, शरीर में पित्त की वृद्धि, या अन्य कारणों से हो सकती है। आयुर्वेद में इस समस्या का समाधान आंवले के ठंडे और शांतकारी गुणों के माध्यम से किया जाता है। जामुन, आम, और आंवले को कांजी के साथ बारीक पीसकर इसका लेप मस्तक पर लगाने से नकसीर में तेजी से राहत मिलती है। यह न केवल खून के बहाव को रोकता है, बल्कि शरीर को ठंडक प्रदान करता है और रक्तस्राव के मूल कारण को भी नियंत्रित करता है। गले की खराश, जो मौसम बदलने पर अक्सर हो जाती है, में आंवला एक प्रभावी उपचार है।

 आंवला चूर्ण में अजमोदा, हल्दी, यवक्षार, और चित्रक को मिलाकर इसे मधु और घी के साथ चाटने से गले की सूजन और खराश कम होती है। यह मिश्रण न केवल गले को आराम पहुंचाता है, बल्कि इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण गले की संक्रमण को भी दूर करते हैं। आंवला का नियमित सेवन इन समस्याओं से बचाव और संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।

अपच में लाभकारी आंवला (Benefits of Amla for Indigestion in Hindi)

असमय खाने की आदतें या अनुचित भोजन अक्सर अपच और कब्ज जैसी समस्याओं का कारण बनती हैं। ऐसे में आंवला का उपयोग एक प्रभावी और प्राकृतिक उपाय है। आंवला को पकाकर इसमें काली मिर्च, सोंठ, सेंधा नमक, भूना जीरा, और हींग मिलाकर छाया में सुखाने से एक गुणकारी मिश्रण तैयार होता है। यह पाचन तंत्र को सक्रिय करता है और भूख बढ़ाने में मदद करता है। आंवला के पाचक गुण पेट की गैस, अपच, और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करते हैं। इसमें मौजूद हींग और भूना जीरा पेट की मांसपेशियों को आराम देते हैं, जबकि सेंधा नमक और सोंठ पाचन को सुधारने में सहायक होते हैं। नियमित सेवन से यह मिश्रण पाचन तंत्र को संतुलित करता है और पेट की समस्याओं से छुटकारा दिलाता है।

संग्रहणी (आईबीएस) में आंवला का आयुर्वेदिक महत्व

आईबीएस (संग्रहणी) रोग पाचन तंत्र की एक जटिल स्थिति है, जिसमें बार-बार दस्त होना और पेट की गड़बड़ी आम लक्षण हैं। यह अक्सर अनुचित खान-पान, तनाव, या संक्रमण के कारण होता है। आंवले के औषधीय गुण इस रोग में अत्यंत लाभकारी साबित होते हैं। मेथी-दाना और आंवले के पत्तों से तैयार काढ़ा पाचन तंत्र को मजबूत करने में मदद करता है। आंवला अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण आंतों की सूजन को कम करता है, जबकि मेथी-दाना में मौजूद फाइबर पेट को शांत करता है और पाचन को सुधारता है। इस काढ़े का नियमित सेवन दिन में दो बार, 10-20 मिली मात्रा में, संग्रहणी रोग के लक्षणों को नियंत्रित करता है और पाचन प्रक्रिया को संतुलित करता है। यह उपचार न केवल बार-बार दस्त को रोकने में मदद करता है, बल्कि आंतों के स्वास्थ्य को भी सुधारता है।

कब्ज में आंवला का आयुर्वेदिक महत्व

आजकल की असंतुलित जीवनशैली और अनियमित खान-पान कब्ज जैसी समस्या को बढ़ावा देते हैं, जो पाचन तंत्र को कमजोर कर सकती है। आंवला, त्रिफला चूर्ण का एक प्रमुख घटक, कब्ज से राहत दिलाने में बेहद प्रभावी है। त्रिफला चूर्ण में आंवला, हरड़ और बहेड़ा का संतुलित मिश्रण होता है, जो आंतों की सफाई और पाचन सुधार में सहायक है। 3-6 ग्राम त्रिफला चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ रात में सेवन करने से सुबह मल त्याग की प्रक्रिया सहज हो जाती है। आंवले में मौजूद प्राकृतिक फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट तत्व आंतों की मांसपेशियों को सक्रिय करते हैं, जिससे पाचन तंत्र का संतुलन बना रहता है। इसका नियमित सेवन न केवल कब्ज को दूर करता है, बल्कि पेट की अन्य समस्याओं जैसे गैस और अपच में भी लाभकारी होता है।

दस्त में आंवला के आयुर्वेदिक लाभ

 दस्त या डायरिया के दौरान शरीर कमजोर हो जाता है और जल-नमक का संतुलन बिगड़ जाता है। ऐसे में आंवला एक प्रभावी और प्राकृतिक उपाय है। आंवले के कोमल पत्तों में मौजूद काब्राहाइड्रेट्स, टैनिन और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाचन तंत्र को शांत करने में मदद करते हैं और मल की स्थिरता को बढ़ाते हैं। दस्त के उपचार के लिए 10-12 ग्राम आंवले के कोमल पत्तों को पीसकर छाछ के साथ सुबह और शाम सेवन करना लाभकारी होता है। छाछ, एक प्रोबायोटिक होने के कारण, आंतों के अच्छे बैक्टीरिया को पुनर्जीवित करता है, जबकि आंवला पाचन प्रक्रिया को मजबूत करता है। यह मिश्रण न केवल दस्त को रोकता है, बल्कि शरीर को ऊर्जा और राहत भी प्रदान करता है।

प्रवाहिका (पेचिश) में आंवला के फायदे

प्रवाहिका, या पेचिश, एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें मल के साथ खून आना शुरू हो जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर हो सकता है। इस समस्या को दूर करने के लिए आंवला एक प्रभावी उपाय है। आंवला में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पेट की सूजन और संक्रमण को शांत करते हैं। 10-20 मिली आंवले के रस में 10 ग्राम शहद और 5 ग्राम घी मिलाकर पीने से पेट की जलन और संक्रमण को कम करने में मदद मिलती है। इसके बाद 100 मिली बकरी का दूध पीने से पेट की lining को आराम मिलता है और शरीर को ठंडक मिलती है। यह उपचार पेचिश से निजात दिलाने में मदद करता है और मल के साथ खून आने की समस्या को नियंत्रित करता है। इस उपाय को दिन में तीन बार सेवन करने से प्रभावी परिणाम मिलते हैं।

उल्टी से दिलाये राहत आंवला( Amla to Get Relieve from Vomiting in Hindi)

क्या आपने कभी उल्टी रोकने के लिए आंवले के इस्तेमाल के बारे में सुना है? सुनने में अजीब लगता है, है न? लेकिन मेरा विश्वास करें, यह एक बेहतरीन आयुर्वेदिक तरकीब है। अगर आपको उल्टी जैसा महसूस हो रहा है, तो बस 10-20 मिली आंवले के रस में 5-10 ग्राम मिश्री मिला लें। यह जादू की तरह है - उल्टी करने की आपकी इच्छा गायब हो जाती है, और यहाँ तक कि आपकी परेशान करने वाली हिचकी भी शांत हो जाती है। आंवले का रस आपके पेट को ठंडा करता है और आपके पाचन को वापस पटरी पर लाने में मदद करता है, यही वजह है कि यह इतना अच्छा काम करता है।

और यह जान लें, अगर आपके पास जूस नहीं है, तो आप 5-10 ग्राम आंवले के पाउडर को पानी के साथ आज़मा सकते हैं। यह भी कारगर है! आंवले में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो आपके शरीर को तरोताज़ा करते हैं और आपके पेट को शांत करने में मदद करते हैं। तो, यह न केवल उल्टी को रोकता है, बल्कि यह आपके पाचन को भी थोड़ा बढ़ावा देता है। बहुत बढ़िया, है न?

एसिडिटी में आंवला या अमला के फायदे (Amla Benefits in Hyperacidity in Hindi)

अम्लपित्त या हाइपरएसिडिटी आजकल आम समस्या बन गई है। बच्चों से लेकर बूढ़े, किसी को भी यह समस्या हो सकती है।  आंवले (Indian gooseberry) के 10 ग्राम बीजों को रात भर जल में भिगोकर रखें। अगले दिन गाय के दूध में बीजों को पीस लें। इसे 250 मिली गाय के दूध के साथ सेवन करें। इससे एसिडिटी में लाभ होता है।

बवासीर में आंवला के लाभ ( Amla to Get Relieve from Piles in Hindi)

अर्श यानि बवासीर कब्ज के कारण होने वाली बीमारी है। अक्सर जो लोग मसालेदार खाना खाते हैं उनको ये समस्या होती है। इसके लिए आंवला का उपयोग लाभ पहुंचाता है।

–आँवलों को अच्छी तरह पीसकर एक मिट्टी के बरतन में (अन्दर की तरफ) लेप कर देना चाहिए। रोगी को इस बरतन में छाछ रखकर पीना चाहिए। इससे बवासीर में लाभ होता है

-बवासीर में अधिक रक्तस्राव होता हो तो 3-8 ग्राम आंवला चूर्ण को दही की मलाई के साथ सेवन करें। ऐसा दिन में दो-तीन बार करें।

प्रमेह (डायबिटीज) में आंवला या अमला के फायदे ( Amla to Control Diabetes in Hindi)

प्रमेह को डायबिटीज या मधुमेह भी कहते हैं। वर्तमान में डायबिटीज से अनेक लोग ग्रस्त हैं। इसके लिए आंवला, हरड़, बहेड़ा, नागरमोथा, दारुहल्दी एवं देवदारु लें। इनको समान मात्रा में लेकर पाउडर बना लें। इसे 10-20 मिली की मात्रा में सुबह-शाम डायबिटीज के रोगी को पिलाने से लाभ मिलता है। 

खुजली से राहत दिलाने में आंवला के फायदे

आंवला न केवल पाचन और शरीर के अन्य अंगों के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह त्वचा से जुड़ी समस्याओं को भी दूर करने में मदद करता है। खुजली एक आम समस्या है, जो त्वचा की सूजन, एलर्जी या संक्रमण के कारण होती है। आंवला की गुठली को जलाकर उसकी भस्म तैयार की जाती है, और फिर इसमें नारियल तेल मिलाकर इसका पेस्ट बनाते हैं। इस मिश्रण को गीली या सूखी खुजली वाली त्वचा पर लगाने से खुजली से राहत मिलती है। आंवला की गुठली में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-सेप्टिक गुण होते हैं, जो त्वचा की सूजन और जलन को शांत करते हैं, जबकि नारियल तेल त्वचा को हाइड्रेट करता है और उसकी नमी बनाए रखता है। इस उपाय से खुजली को दूर करने के साथ-साथ त्वचा की स्थिति में भी सुधार होता है।

त्वचा रोगों में आंवला के फायदे

 आंवला का उपयोग त्वचा रोगों में भी अत्यधिक प्रभावी साबित होता है। त्वचा पर होने वाली समस्याएं जैसे फोड़े, खुजली, पित्त की समस्या और चोटों की सूजन, आंवला के सेवन से दूर हो सकती हैं। इसके लिए, आंवला और नीम के पत्तों को घी के साथ सेवन करने से त्वचा की समस्याओं में राहत मिलती है। नीम में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो त्वचा को साफ और स्वस्थ बनाए रखते हैं, जबकि आंवला के एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन C से भरपूर गुण त्वचा की रोग प्रतिकारक क्षमता को मजबूत करते हैं। घी त्वचा को नमी प्रदान करता है और सूजन को कम करने में मदद करता है। इस मिश्रण के नियमित सेवन से न केवल त्वचा के रोगों में सुधार होता है, बल्कि यह त्वचा को अंदर से भी पोषण देता है और उसकी चमक को बढ़ाता है।


पीलिया में आंवला के फायदे

 आंवला पीलिया (जॉन्डिस) के उपचार में भी अत्यधिक फायदेमंद है। पीलिया की बीमारी में शरीर का रंग पीला पड़ जाता है और लिवर की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। आंवला लिवर को डिटॉक्सिफाई करने और उसकी कार्यक्षमता को सुधारने में मदद करता है। आंवला के सेवन से शरीर में जिगर से संबंधित समस्याओं में राहत मिलती है। एक सामान्य उपाय है आंवला की चटनी बनाकर उसमें शहद मिलाना। इस मिश्रण का सेवन लिवर विकार और पीलिया की समस्या में प्रभावी रहता है। इसके अलावा, 125-250 मिग्रा लौह भस्म के साथ 1-2 नग आंवला चूर्ण का सेवन पीलिया और एनीमिया दोनों में फायदेमंद साबित होता है। आंवला का नियमित सेवन पीलिया से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के साथ-साथ रक्त में आयरन की कमी को भी पूरा करता है, जिससे लिवर के ठीक होने की प्रक्रिया में तेजी आती है।

कुष्ठ रोग में आंवला के फायदे

आंवला को कुष्ठ रोग (Leprosy) के इलाज में भी एक प्रभावी औषधि माना जाता है। कुष्ठ रोग एक दीर्घकालिक और गंभीर त्वचा रोग है, जिसमें त्वचा पर दाग-धब्बे और मांसपेशियों में कमजोरी आ सकती है। आयुर्वेद में आंवला और नीम की पत्तियों का संयोजन इस रोग के इलाज में विशेष रूप से फायदेमंद है। दोनों को समान मात्रा में लेकर महीन चूर्ण बनाया जाता है, और इस चूर्ण को शहद के साथ सेवन करने से शरीर के विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं और त्वचा के उपचार में सहायता मिलती है। रोज़ सुबह इस मिश्रण का सेवन करने से कुष्ठ रोग में तुरंत राहत मिलती है। आंवला के एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण इसे इस गंभीर बीमारी के लिए एक शक्तिशाली उपचार बनाते हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और त्वचा की हालत को सुधारने में मदद करते हैं।

धातु रोग में आंवला के फायदे

आंवला का सेवन धातु रोग, जैसे स्वप्नदोष और शुक्रमेह (Spermatorrhoea), में बेहद लाभकारी साबित होता है। स्वप्नदोष और शुक्रमेह में अत्यधिक या अनियंत्रित वीर्य स्राव की समस्या होती है, जो शरीर को कमजोर कर सकती है। इस समस्या से राहत पाने के लिए आंवला के गुठली रहित 10 ग्राम चूर्ण को धूप में सुखाकर, उसमें दोगुनी मिश्री मिलाकर ताजे जल के साथ 15 दिनों तक नियमित रूप से सेवन किया जाता है। आंवला के इस मिश्रण के सेवन से शरीर में ऊर्जा और ताकत बढ़ती है, जबकि मिश्री के साथ इसका सेवन वीर्य की गुणवत्ता को सुधारने में मदद करता है। आंवला का यह संयोजन शारीरिक और मानसिक शक्ति को पुनः सुदृढ़ करता है, और शुक्रमेह जैसी समस्याओं में निश्चित रूप से लाभ प्रदान करता है।

सुजाक (गोनोरिया) में आंवला के फायदे

सुजाक या गोनोरिया एक यौन संक्रमित रोग (STD) है, जिसमें लिंग में घाव हो जाते हैं और उससे पस निकलता है। इस स्थिति में आंवला का उपयोग एक प्रभावी इलाज हो सकता है। गोनोरिया के इलाज के लिए 2-5 ग्राम आंवला चूर्ण को एक गिलास पानी में मिला लिया जाता है। इस मिश्रण का सेवन करने से सूजन और जलन में राहत मिलती है। साथ ही, इस जल से लिंग को धोने से घाव की सूजन कम होती है और पस का आना रुकने लगता है। आंवला के गुण सूजन को कम करने, घावों को ठीक करने और संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। इसके नियमित सेवन और प्रयोग से गोनोरिया की समस्या में धीरे-धीरे सुधार होता है, और यह रोग जल्दी ठीक हो जाता है।

गठिया के दर्द से दिलाये राहत आंवला (Amla Benefits to Get Relief from Arthritis in Hindi)

गठिया में जोड़ों में दर्द और सूजन हो जाता है। इस परेशानी से सबसे ज्यादा बड़े-बूढ़े ग्रस्त होते हैं। इसमें 20 ग्राम सूखे आंवले और 20 ग्राम गुड़ लें। इसे 500 मिली पानी में उबाल लें। 250 मिली पानी शेष रहने पर छानकर सुबह शाम पिएं। इससे गठिया में लाभ होता है। इस दौरान नमक का सेवन ना करें।

बुखार में आंवला के फायदे (Amla Benefits to Get Relief from Fever in Hindi)

मोथा, इद्रजौ, हरड, बहेड़ा, आंवला, कुटकी तथा फालसा का काढ़ा बना लें। इसे 10-30 मिली मात्रा में पिएं। इससे कफ दोष के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है। 

हिचकी से आराम दिलाये आंवला (Uses of Amla for Hiccup in Hindi)

हिचकी की परेशानी को ठीक करने के लिए पीपल, आंवला तथा सोंठ के 2-2 ग्राम चूर्ण में 10 ग्राम खांड तथा 1 चम्मच मधु मिला लें। इसे थोड़ी-थोड़ी देर में चाटने से हिचकी तथा दमा में लाभ होता है।

10-20 मिली आंवला रस तथा 2-3 ग्राम पीपल के पत्ते के चूर्ण में 2 चम्मच शहद मिला लें। दिन में दो बार सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है। 

गले में खराश के लिए आंवला के फायदे (Amla Benefits in Sore Throat in Hindi)

गले में खराश होने पर आंवले का उपयोग आपको फायदा पंहुचा सकता है।आंवला में लवण रस को छोड़ कर सभी पांच रस (मधुर-अम्ल -कटु -तिक्त -कषाय) होते है। अतः इसके मधुर और कषाय रस के कारण ये गले की खराश को कम करने में सहायता करता है। अगर गले में खराश सूजन  के कारण है तो इसका शीत गुण और मधुर शोथ या सूजन को कम कर गले को आराम देता है।  

बढ़ती उम्र के प्रभाव को रोकने के लिए आमला के फायदे (Amla Beneficial to Control the Effect of Ageing in Hindi)

बढ़ती उम्र के प्रभाव को आंवला के सेवन के रोका जा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार आंवला को रसायन माना गया है। यहाँ पर रसायन को मतलब जिसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। रसायन के सेवन से  शरीर में होने वाले डिजेनरेटिव को रोकने में सहायता मिलती है जिससे बढ़ती उम्र के लक्षण कम होने लगते है। 

हड्डियों को मज़बूत बनाने में आमला के फायदे (Benefit of Amla for Strong Bones in Hindi)

आंवला रसायन होने के के कारण सभी शरीर की सभी धातुओं को पोषण देता है। अतः यह अस्थि धातु को भी पोषण देकर हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है। 

खून साफ करने में आमला फायदेमंद (Amla Beneficial in Blood Purification in Hindi)

आंवला का सेवन खून को साफ करने में सहायता करता है। अतः आंवला जूस खून के अशुद्ध से होने वाले रोगों से राहत दिलाने में फायदेमंद होता है। 

कैंसर से बचने के लिए आंवले का उपयोग (Use of Amla to Prevent Cancer in Hindi)

आंवले का सेवन कैंसर को फैलने रोकने में भी सहायक होता है, क्योंकि इसमें कैंसर रोधी तत्व पाये जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार भी आंवला रसायन होता है यानि रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने बढ़ाता है अतः  ये कैंसर को रोकने में मदद करता है। 

दिमाग को तेज़ करने में आंवले का उपयोग (Amla Beneficial to Boost Memory in Hindi)

आंवला का उपयोग दिमाग की क्रियाशीलता बढ़ाने में सहायक होता है। आंवला में पाये जाने वाला रसायन गुण दिमाग को तेज करने में मदद करता हैं। 

दांतों के लिए आंवला का उपयोग (Use of Amla for Teeth in Hindi)

आंवला की पत्तियां और फल दोनों ही मुँह से संबंधित रोगों में फ़ायदेमंद होते है। आंवला की पत्तियों का प्रयोग दांतो की मजबूती के लिए किया जाता है साथ हि फल का प्रयोग मसूड़ो यानि गम्स से संवंधी रोगों में फायदेमंद होता है। 

हृदय को स्वस्थ रखने में आंवले के फायदे (Amla Beneficial for Healthy Heart in Hindi)

आंवला का सेवन हृदय को स्वस्थ रखने में सहायक होता है, क्योंकि आंवले का सेवन कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायता करता है साथ ही आंवले में पाये जाने वाला विटामिन-सी रक्तवाहिनी को संकुचित होने से रोकता जिसे रक्त का दबाब भी सामान्य रहता है। 

नसों की कमज़ोरी दूर करने में आंवले का उपयोग (Use of Amla to Boost Nerve Weakness in Hindi)

आंवले का उपयोग नसों की कमज़ोरी दूर करने में सहायक होता है, क्योंकि आँवले में रसायन का गुण पाया जाता है। रसायन का गुण नसों में समय साथ हो रहे परिवर्तनों यानि डिजेनरेटिशन को नियंत्रित कर कमजोरी दूर करता है। 

आंवला कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Amla Found or Grown)

आंवले के वृक्ष (amla plant) की पत्तियां इमली की पत्तियां जैसे ही होती हैं, लेकिन इसकी पत्तियां इमली से कुछ बड़ी होती हैं। आंवला (Indian gooseberry)  बाग-बगीचों से लेकर जंगलों में पाया जाता है। बाग-बगीचों में आंवले के जो पौधे होते हैं उनमें जो फल आते हैं, वे जंगल में पैदा होने वाले फल की तुलना में बड़े होते हैं। ये समुद्र तल से 1300 मीटर की ऊंचाई पर भी पाया जाता है।


आंवले की खुराक (Dosage of Amla):-

 आंवला एक अत्यंत पौष्टिक फल है, जिसे विभिन्न रूपों में सेवन किया जा सकता है। आंवला का कच्चा फल, आंवला जूस, आंवला चूर्ण, आंवला कैंडी, और आंवला मुरब्बा ये सभी रूप इसके सेवन के सामान्य तरीके हैं। हर बीमारी के लिए आंवले की उपयुक्त खुराक अलग होती है, जो शरीर की आवश्यकताओं और स्थिति पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, आंवला का रस, चूर्ण, या मुरब्बा उपयोगी हो सकते हैं, लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि इनका सेवन अत्यधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए। ज्यादा मात्रा में आंवला का सेवन दुष्प्रभाव उत्पन्न कर सकता है, जैसे कि पेट में ऐंठन, दस्त, या गैस की समस्या। इसलिए, यदि आप आंवला का सेवन किसी विशेष स्वास्थ्य समस्या के लिए करना चाहते हैं, तो आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श लेना उचित रहेगा, ताकि सही खुराक और उपयुक्त उपचार का मार्गदर्शन मिल सके।

आंवला से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ Related to Amla in Hindi)

1-आंवला के सेवन से क्या नुकसान होता है?

 आंवला एक अत्यधिक लाभकारी फल है और सामान्यतः इसके सेवन से कोई प्रमुख दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। हालांकि, आंवला की तासीर शीतल (ठंडी) होती है, इसलिए इसका सेवन सर्दियों में कच्चे फल के रूप में अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए। विशेष रूप से, सर्दी और खांसी जैसी समस्याओं में आंवला का अधिक सेवन ठंडक को बढ़ा सकता है, जिससे कुछ व्यक्तियों को ठंड के कारण शारीरिक असंतुलन का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, आंवला का अत्यधिक सेवन पाचन संबंधी समस्याएं, जैसे कि दस्त या पेट में ऐंठन का कारण बन सकता है। अगर कोई व्यक्ति गैस्ट्रिक समस्या, पेप्टिक अल्सर या किसी अन्य पेट संबंधी बीमारी से ग्रस्त है, तो उसे आंवला का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए और आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।

2-आंवले की तासीर क्या है?

आंवला एक स्वादिष्ट और पौष्टिक फल है, जो आयुर्वेद में विशेष स्थान रखता है। आयुर्वेद के अनुसार, आंवले में पांचों रस पाए जाते हैं, जिनमें अम्ल (खट्टा) और कषाय (कड़क) रस प्रमुख होते हैं, जबकि लवण (नमकीन) रस का इसमें अभाव होता है। आंवला की तासीर शीतल (ठंडी) मानी जाती है, जिसका अर्थ है कि इसके सेवन से शरीर में ठंडक और शीतलता आती है। यह तासीर शरीर की गर्मी को संतुलित करने में मदद करती है, खासकर उन लोगों के लिए जो अधिक गर्मी महसूस करते हैं या गर्मी से संबंधित समस्याओं जैसे बुखार, जलन, या चिड़चिड़ापन का सामना करते हैं। ठंडी तासीर के कारण आंवला सर्दी के मौसम में अधिक उपयोगी होता है, जबकि गर्मी में इसके सेवन को नियंत्रित करना चाहिए।

3- क्या आंवला खाने से इम्यूनिटी बढ़ती है?

आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार, आंवले में कई ऐसे गुण होते हैं जो हमारे शरीर की रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ाने में मदद करते हैं. सर्दियों में सर्दी-जुकाम के साथ-साथ कई छोटी मोटी समस्याएं होती ही रहती हैं, ऐसे में अगर आप नियमित रूप से आंवले का सेवन करें तो इससे शरीर की इम्यूनिटी बढ़ जाती है. इम्यूनिटी मजबूत होने से इन सभी समस्याओं के होने की संभावना कम हो जाती है. 

4- सर्दियों में आंवले का सेवन कैसे करें?

सर्दियों में आंवले का सेवन सर्दियों के मौसम में आंवला स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है, और इसके सेवन के कई तरीके हैं। आप सीधे आंवला फल खाकर, या फिर आंवले का ताजे जूस पीकर इसके लाभ उठा सकते हैं। सर्दियों में इम्यूनिटी और शरीर की ताकत बढ़ाने के लिए लोग अक्सर च्यवनप्राश का सेवन करते हैं, जिसमें आंवला मुख्य घटक के रूप में होता है। यदि आपको आंवले का स्वाद पसंद नहीं आता, तो आप च्यवनप्राश का सेवन कर सकते हैं, जो स्वाद में भी अच्छा होता है और स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। इसके अलावा, बाजार में आंवले के चूर्ण, कैंडी, कैप्सूल, और मुरब्बा भी उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग किया जा सकता है। इन सभी रूपों में आंवला शरीर की रोग प्रतिकारक क्षमता को बढ़ाता है, सर्दियों में ऊर्जा बनाए रखता है और त्वचा को भी स्वस्थ रखता है।

5- सर्दियों में आंवले का जूस कब पीना चाहिए?

आयुर्वेद में आंवला को रोग निवारण और स्वास्थ्यवर्धन के लिए विशेष स्थान दिया गया है, खासकर सर्दियों के मौसम में। सर्दी के दिनों में आंवले के जूस का नियमित सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और ठंड के मौसम में होने वाली बीमारियों जैसे सर्दी, खांसी और गले की समस्याओं से बचाव करता है। आयुर्वेदिक चिकित्सक मानते हैं कि सुबह खाली पेट आंवले का जूस पीने से पाचन तंत्र मजबूत होता है, जिससे पेट के रोग जैसे गैस, अपच, और कब्ज की समस्याएं दूर होती हैं। आंवले का जूस विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है, जो शरीर को डिटॉक्स करने और त्वचा को निखारने में मदद करता है। सर्दियों में इसका सेवन न केवल शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है, बल्कि हड्डियों को मजबूत बनाकर जोड़ों के दर्द और सर्द मौसम के प्रभाव को कम करता है। हर उम्र के लोगों के लिए यह एक प्राकृतिक टॉनिक की तरह काम करता है, जो सर्दियों में स्वास्थ्य को संतुलित और बेहतर बनाए रखता है।

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